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A cow is an important domestic animal that is found everywhere in the world. It provides good quality milk. Hindus call cow as 'Mata' (Gaumata). Its calves grow up and pull the car and play

जानिये माँ शेर पर ही क्यों विराजमान होती है?

जानिये माँ शेर पर ही क्यों विराजमान होती  है?

भक्तो की रक्षा करने एवं दुष्टो का विनाश करने के लिए माँ दुर्गा शेर पर विराजमान रहती है। माँ दुर्गा बुराइयो पर अच्छाई का प्रतीक है। शेर उग्रता तथा हिंसक प्रवर्ति का प्रतीक है । माँ दुर्गा सिंह पर सवार है जिसका अर्थ है उग्र और हिंसक प्रवर्तियों पर विजय प्राप्त करना ही शक्ति है।

अधर्म पर नियंत्रण कर जब हम धर्म की राह पर चलते है तब भगवान् को पाना भी आसान हो जाता है। परमात्मा की शक्ति का प्रतीक देवी है। देवी की शक्ति के बिना तो भगवान् भी अधूरे है। 

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धार्मिक कथाएं

इस कथा के अनुसार एक बार माँ पार्वती ने भगवान् शिव को पति रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की । जिसके कारण माँ का रंग भी काला हो गया। यह तपस्या सफल हुई और माँ पार्वती ने भगवान् शिव को पति के रूप में प्राप्त किया ।

एक दिन  कैलाश पर्वत पर बैठे हुए भगवान् शिव ने पार्वती को ‘काली’ कह दिया जिसके कारण माँ क्रोधित होकर वहां से चली गयी तथा वन में जाकर कठोर तपस्या करने लगी। वन में माँ को खाने के लिए एक भूखा शेर भी आ गया लेकिन माँ को तपस्या करते हुए देखकर चुपचाप वही बैठ गया।

शेर भी तपस्या में इतना लीन हो गया की  माँ तथा शेर को तपस्या करते हुए कई हजारो साल हो गये। अंत में भगवान् शंकर  तपस्या को समाप्त करने के लिए वहां आये और पार्वती को ‘ गौरी ‘होने का वरदान दिया । इसके पश्चात् माँ गंगा स्नान के लिए चली गई उसी समय एक काली रंग की माता उनके शरीर में से प्रकट हुई। 

जिससे माँ का रंग दुबारा गौरा हो गया  । काली देवी को (कौशिकी)नाम से पुकारा जाने लगा। गौरी होने के बाद माँ पार्वती को (महागौरी) नाम से भी जाना जाने लगा। माता ने शेर की प्रतीक्षा को एक तपस्या से कम नहीं समझाऔर उसे वरदान के रूप में अपने वाहन के रूप में स्वीकार किया। जिसके कारण शेर माँ की सवारी बन गया ।

नवरात्रि में जौ बोने का  कारण

जानिये माँ शेर पर ही क्यों विराजमान होती  है?
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धार्मिक मान्यता के अनुसार सबसे पहले धरती पर जौ की फसल उगाई गयी थी। माना जाता है कि अन्न भगवान् ब्रह्मा जी का एक स्वरुप है।  नवरात्रि में भी महागौरी के पूजन में भी अन्न का विशेष स्थान है।  इसी वजह से काशी में नवगौरी यात्रा में महागौरी के दर्शन अन्नपूर्णा मंदिर में होते है। इस मंदिर के विषय में मान्यता है कि माँ पार्वती काशी में महादेव के साथ रही थी।

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